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“ख्वाब टूट जाते है”

"गमेदिल"
"गमेदिल"
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---ख्वाब टूट जाते है---

 

 

भीड़ मे ज़माने की हाथ छूट जाते हैं,

और ख्वाब टूट जाते है;

ख्वाब टूट जाते है;

 

बीते हुए लम्हों से जिन्दगी नही मिलती,

डूबते सूरज से जैसे रोशनी नहीं मिलती,

मतलबी ज़माने में खाक सब ख्वाब हुए;

और अब अंगारों से रवानगी नहीं मलती,

 

किस्मते-सितारे अक्सर रूठ जाते हैं;

और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;

  

हर घडी लोग यहाँ रंग बदला करते हैं,

बदगुमानी-आग में पल-पल जला करते हैं,

दुश्मनों के बारे में क्या बतलाऊँ तुम्हे;

‘अपने’ भी गैर बनके अब तो मिला करते हैं,

 

 

मंजिल से पहले ही कारवां लुट जाते है;

और ख्वाब टूट जाते है;
ख्वाब टूट जाते है;

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