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“बस टूटे ख्वाब”

"गमेदिल"
"गमेदिल"
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"बस टूटे ख्वाब"

 

 

“इन तेज हवाओं में दिया बुझता ना तो क्या करता,

दिल की राहों मे अजनबी बनता ना तो क्या करता,

 

जब कश्ती टूट गयी हो और जिन्दगी बे-साहिल हो;

तो खुदा से एक तूफां की दुआ करता ना तो क्या करता,

 

क्या बताऊँ तुम्हे सांप निकले हैं आस्तीनों से;

इस दुनिया में साए से लिपटता ना तो क्या करता,

 

पास कुछ भी ना रहा बस टूटे खवाबों के सिवा;

 इन खिलोनों से “गमेदिल” बहलता ना तो क्या करता?

  

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